शैयर बाजार में ट्रेडिंग केवल पैसा कमाने का खेल नहीं है, बल्कि ये हमारी Self – Worth से भी जुड़ा है, ये हमारे स्वमूल्यांकन का भी आधार है। अक्सर यह बात हमारे दिमाग में आती है, कि अगर हमको मौका मिले तो हम लाखों कमा सकते हैं, लेकिन सच बात तो यह है कि मौका मिलना और उसको पकड़ना दो अलग-अलग बातें हैं,और यहीं पर आता है हमारा self -Esteem कहने का मतलब है, हम खुद को कितना लायक समझते है और यही वह चीज है ,जो तय करती है कि हम कितना सफल होंगे।
आप खुद को कितना लायक मानते है ?
यह लोगों की आम आदत होती है कि वह हमेशा खुद को दूसरे से कम आंकते हैं।उनकी यह सोच होती है,उन्हें यह लगता है कि बहुत सारा पैसा बनाना उनके भाग्य में नहीं है। वह उसके लायक ही नहीं है,अच्छी चीज तो सिर्फ दूसरों के साथ होती है, मेरे साथ तो कभी अच्छा नहीं होता हैं। अब सोचिये ऐसा आपके मन के अंदर चल रहा हो,तो सामने कितना भी अच्छा ट्रेड हो, तो आप डर में आकर उसे गंवा देंगे, या किसी न किसी बहाने अपना नुकसान कर बैठेंगे
बचपन की वो पुरानी आवाज़े याद है ?
हमारे दिमाग में कई ऐसी बातें होती हैं जैसे- पैसा पेड़ पर नहीं उगता, अमीर लोग घमंडी होते हैं,पैसा कमाना बहुत मेहनत का काम हैं, बड़ा पैसा कमाना बहुत मुश्किल होता है।ये बाते तब हमारे मन में आई जब हम छोटे थे, और यही हमारी सोच बन गईं, यह तब हुआ जब किसी ने हमको डांटा या हमें कोई भावनात्मक चोट लगी, तभी ये हमारी मान्यताएं बनीं, और वह आज भी अवचेतन रूप से हमारे डिसीजन को कंट्रोल कर रही होती हैं, और हम जिन बातों को नहीं जानते हैं,वही हमको कन्ट्रोल कर रही होती है। इसको दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो हम खुद को नहीं जानते, और यही चीज हमें बाजार में भी कंट्रोल करती है और यही चीज ट्रेड करते समय हमारे डिसीजन को भी प्रभावित करती हैं।
असली लड़ाई चार्ट से नहीं बल्कि अपने आप से होती है।
आपने यह ध्यान दिया होगा, सब कुछ सही होते हुए भी हम गलत ट्रेड में घुस जाते हैं। प्राफिट होते ही बैचेनी होने लगती हैं, उसे जल्दी काट देते हैं, और नुकसान पर उम्मीद के भरोसे देर तक बैठे रहते हैं, चाहे सामने दिख भी रहा हो, कुछ भी नहीं हो सकता, ऐसा क्यो सोचा है कभी ,ये इसलिये होता क्योंकि कहीं ना कहीं अन्दर से आवाज आती हैं – तू इस लायक है ही नहीं।बहुत सारे ट्रेड अच्छे चलते हैं पर जब वो ऊंचाई पर पहुंचते लगते हैं तो हमारी वही पुरानी मन्यताएं हमें वापस खींच लेती हैं, फिर वही बहाने बनने लगते हैं – भाग्य खराब था, मार्केट बदल गई, वह न्यूज़ आ गई तब।लेकिन यहां पर सच्चाई यह है, इस चीज की जड़ बाहर नहीं बल्
इससे बाहर निकला जा सकता है तो कैसे?
मैं यहाँ पर यह नहीं कह रहा हूँ कि हमारी हर भावना गलत होती है। लेकिन एक सजक व्यक्ति की तरह अपने भीतर झांकना जरूरी हैं और यह पता लगाना जरूरी है,वह कौन सी नेगेटिव मान्यताएं है,जो हमें बार-बार पीछे धकेल रही हैं? सिर्फ पता लगाना ही काफी नहीं हैं,उन्हें स्वीकारना और धीरे-धीरे उन्हें बदलना भी जरूरी हैं। यहीं असली सफलता की कुंजी है। क्योंकि जब तक आप खुद को लायक नहीं मानेंगे तब तक मार्केट भी आपको उतना नहीं देगा, जितना आप मार्केट से पाना चाहते हैं।
अन्त में इस बात के साथ समापन
दोस्तो और मार्केट में जीतने से पहले अपने मन को जीतना जरूरी हैं। मार्केट में लड़ने से पहले अपने अन्दर बैठे डर और दोष की धारणाओं को पहचानिये और उनको बाहर कीजिये क्योंकि ट्रेडिंग बाहर की नहीं बल्कि अन्दर की यात्रा हैं। अगर आप इस लेख को विडियो के रूप में देखना चाहते हैं तो मेरी youtube चैनल www.youtube.com/@girishpathak08 पर जाकर भी देख सकते हैं
Bahut acchha laga sir bht saadgi se samjhaya aapne bht kuch seekhne ko mila aapse sir
thanks sir