“ट्रेडिंग माइंडसेट: फुटबॉल जैसा असली खेल”

ट्रेडिंग माइंडसेट: फुटबॉल जैसा असली खेल” — यह लाइन आपको अजीब लग सकती है, लेकिन जब आप इसे समझेंगे, तो शायद ट्रेडिंग को देखने का आपका नजरिया ही बदल जाए। जो फोटो आप ऊपर देख रहे हैं, उसमें दो खिलाड़ी फुटबॉल खेल रहे हैं।एक खिलाड़ी हम जैसे ट्रेडर्स हैं… और दूसरा है मार्केट और जो फुटबॉल है — वो है मार्केट की मूवमेंट।जो कभी सीधी आती है,कभी दाईं तरफ घूमती है,और कभी ऐसा झटका देती है कि सब कुछ उलट-पलट हो जाता है। सामने जो गोल पोस्ट दिख रहा है — वो है हमारा फाइनेंशियल प्लान। Retirement, बच्चों की पढ़ाई, अपना घर, Financial Freedom और कुछ और भी। लेकिन जैसे ही हम बॉल को गोल में डालने की कोशिश करते हैं —कोई सामने आकर खड़ा हो जाता है, जो हमारा खुद का माइंडसेट होता है,यही माइंडसेट हमें बार-बार रोकता है…कभी डर से,कभी लालच से,और कभी सिर्फ सोचते रह जाने से।और यहीं से शुरू होता है असली खेल।

मार्केट में कोई टाइम लिमिट नहीं है

फुटबॉल का नियम होता है — मैच 90 मिनट का होता है। लेकिन मार्केट में ना पहला हाफ होता है, ना ही दूसरा। यहाँ हर दिन, हर मिनट, हर कैंडल पर मैच खेला जाता है। आप मैदान में हैं… लेकिन मार्केट हर दिन नया खिलाड़ी बनकर आता है। वो कभी डिफेंसिव, कभी अटैकिंग… और कभी आपको पूरी तरह चकमा देकर निकल जाता है। जब आप सोचते हो, “आज मैं पूरी तैयारी से आया हूँ…” लेकिन मार्केट आपसे पहले मूव कर जाता है। और तभी समझ आता है — ये सिर्फ ट्रेडिंग नहीं… ये एक माइंड गेम है।

गोल पोस्ट आपका सपना है — लेकिन रुकावट भी आप ही हो।

अब ज़रा रुकिए और सोचिए ,जो गोल पोस्ट आपने बनाया है… क्या आप सच में उस पर गोल कर पा रहे हैं? क्योंकि सामने खड़ा है आपका अपना माइंडसेट —जो कहता है, “ये ट्रेड गलत हो गया तो?””इस बार बड़ा रिस्क ले लेते हैं” “अबकी बार सब कुछ लगा देते हैं” और आप खुद ही अपने गोल को रोक देते हैं…

जीतने के लिए चाहिए – साहस, धैर्य और अनुशासन

सोचिए अगर आपके पास एक ऐसा शॉट हो,जो बॉल को सीधा गोल में डाल दे।उसके लिए तीन चीजें चाहिए

साहस – डर से ऊपर उठने के लिए

2. धैर्य – सही वक्त तक इंतज़ार करने के लिए

3. डिसिप्लिन – इम्पल्सिव डिसीजन से बचने के लिएअगर ये तीन नहीं हैं —तो हज़ारों शॉट भी बेकार हैं। क्योंकि माइंडसेट की दीवार के आगे —हर प्लान, हर सेटअप, फेल हो जाता है।

पुराने खिलाड़ी नए गेम नहीं जीतते। मार्केट हर दिन अलग खेलता है —कभी रेंज में, कभी ब्रेकआउट में, कभी फेक मूव में। लेकिन क्या आप खुद को हर दिन अपडेट कर रहे हैं? या फिर वही पुरानी रणनीति दोहराते जा रहे हैं? हर दिन कुछ सीखना… हर हार से सबक लेना…यही है एक ट्रेडर की असली प्रैक्टिस। अगर आपका गोल क्लियर नहीं, तो ट्रेडिंग एक अंधी दौड़ बन जाती हैअक्सर लोग मैदान में तो आ जाते हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं होता — गोल पोस्ट कहाँ है। कभी शॉर्ट टर्म पैसा, कभी किसी टिप, या किसी फेमस स्टॉक के पीछे भागते रहते हैं…लेकिन फाइनेंशियल प्लान? वो किसी को याद ही नहीं रहता। और जब प्लान ही क्लियर नहीं, तो ट्रेडिंग बस एक लॉटरी बन जाती है।

असल जीत – खुद से

सच कहूं तो…मार्केट से जीतना आसान है, खुद से जीतना सबसे मुश्किल। क्योंकि मार्केट आपको बस टेस्ट करता है —लेकिन माइंडसेट हर रोज़ आपको हराता है।जब तक आप अपनी भावनाओं और ईगो को काबू में नहीं रखते —तब तक कोई सेटअप काम नहीं आता। गोल तब होता है, जब आप खुद की बनाई दीवारें तोड़ते हैं।अंत में बस एक बात…अगली बार जब आप ट्रेड करें —इस रूपक को याद रखना। बॉल को दोष मत देना — वो सिर्फ मूवमेंट है ,मार्केट को मत कोसना — वो खिलाड़ी है ,गोल पोस्ट को मत बदलना — वो आपका सपना है। बस अपने माइंडसेट को समझिए…और उसे गोल के रास्ते से हटाइए। क्योंकि जीत तभी मिलेगी —जब आप खुद से पार पा जाएंगे। लेख अच्छा लगे तो लाइक करना और कमेन्ट करना..यदि आप इसको वीडियो फॉर्मेट में देखना चाहते है तो मेरे youtube चैनल www.youtube.com/@girishpathak08 पर जाकर देख सकते है।और एक और बात स्पष्ट कर दूं, यह लेख एजुकेशन के उद्देश्य से लिखा गया है और यह निवेश सलाह नहीं हैं। बहुत बहुत धन्यवाद आपका…

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